तारीख - १८-०६-२००८
समय -एक बजे दोपहर
जगह-मेरे घर की बाउंड्रीवाल
मैं अपने घर की खिड़की से बहार झांक रही थी की अचानक आंखों ने कुछ ऐसा देखा की मन खुशी और रोमांच से भर गया. बाउंड्रीवाल पर जहाँ चिडियों के पानी पीने के लिए मटकी रखी है ,वहां तीन गोरैय्या बैठी थी बिल्कुल लाइन बनाकर.सबसे पहले एक चिडिया ने चोंच भर पानी पिया ,इधर -उधर देखा और उड़ गई.उसे उड़ता देख के उस की साथिन चिडिया भी उड़ गई .फ़िर धीरे से दूसरी चिडिया मटकी पर बैठी ,पानी पिया और फुर्र्र ............
इस घटना को देखकर बस मन कह उठा -
हे प्रकृति के देवता - नतमस्तक !
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4 comments:
really pooja...nature is so beutiful..
keep writing pooja ji
hi pooja
u r writing is so touchy.
siddhart singh
very gooooood
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