तारीख - १८-०६-२००८ समय -एक बजे दोपहर जगह-मेरे घर की बाउंड्रीवाल
मैं अपने घर की खिड़की से बहार झांक रही थी की अचानक आंखों ने कुछ ऐसा देखा की मन खुशी और रोमांच से भर गया. बाउंड्रीवाल पर जहाँ चिडियों के पानी पीने के लिए मटकी रखी है ,वहां तीन गोरैय्या बैठी थी बिल्कुल लाइन बनाकर.सबसे पहले एक चिडिया ने चोंच भर पानी पिया ,इधर -उधर देखा और उड़ गई.उसे उड़ता देख के उस की साथिन चिडिया भी उड़ गई .फ़िर धीरे से दूसरी चिडिया मटकी पर बैठी ,पानी पिया और फुर्र्र ............
कहते हैं की अगर किसी चीज़ की शुरुआत ईश्वर के नाम से हो तो वो अच्छी चलती है.तो मैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए अपने ब्लॉग की शुरुआत करती हूँ.अक्सर लोग कहते हैं की भक्ति मे बड़ी शक्ति होती है.मैं भी कहती थी पर बिना उसके सत्व को महसूस किए.पर फ़िर अपने घोर निराशा के पलों मे मैंने इसे जिया.मैं अपने career में चल रही परेशानियों के चलते बहुत निराश हो गई थी.मैं ये सोचने लगी थी की this is the end of road और मेरे साथ कभी कुछ अच्छा होने वाला नही है.पर तभी मेरी आस्था शिव मे जगी.फ़िर मै अपने चारो तरफ़ हर वक़्त एक शक्ति महसूस करने लगी. मुझे लगा मैं अपनी परेशानियों मै अकेली नही हूँ ,बाबा (शिव) मेरे साथ हैं.And then I surrendered my problems and even myself to God.उस भीतरी शक्ति ने मुझे जीवित रखा और सब चीजों से उबरने मै मेरी मदद की .अब मेरी जिंदगी का मूलमंत्र है-