Sunday, March 29, 2009

बहुत दिनों बाद....

बहुत दिनों बाद चिठ्ठे पर आई हूं. क्रांतिकारी कवि पाश की बहुत अच्छी कविता पढ़ी, आपसे बांट रही हूं....

श्रम की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती
गद्दारी लोभ की मुठ्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती
बैठे ठाले पकड़ जाना - बुरा तो है
पर सबसे खतरनाक नहीं होता
कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना - बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ने लग जाना - बुरा तो है
भींच कर जबड़े बस वक़्त काट लेना - बुरा तो है

पर सबसे खतरनाक नहीं होता
सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौट कर घर जाना
सबसे खतरनाक होता है

हमारे सपनों का मर जाना..

- पाश