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shabd
Sunday, September 21, 2008
कुछ पंक्तियां
कुछ रचनाये हमें निशब्द कर देती हैं .ऐसी ही एक रचना ,जोकि अमृता प्रीतम द्वारा लिखी गई है पेश कर रही हूँ.
एक दर्द था-
जो सिगरेट की तरह मैंने चुपचाप पिया
सिर्फ़ कुछ नज़्में हैं -
जो सिगरेट से मैं ने राख की तरह झाड़ी.....
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